अर्जुन पूछते हैं की ब्रह्म क्या हैं , अध्यात्म और कर्म क्या हैं ? और पूर्व के अध्याय में भगवान ने भगवान ने अधिभूत, अधिदैव और अधियज्ञ के बारे में कहा था तो अर्जुन इसके बारे में पूछते हैं की यह क्या हैं और मनुष्य के शरीर में कैसे रहता हैं ? प्रयाणकाल में आपको मनुष्य कैसे जान पता हैं।
अर्जुन के प्रश्नों का उत्तर देते हुए श्री भगवान कहते हैं की परम अविनाशी सत्ता ब्रह्म हैं, मनुष्य की अपनी आत्मा अध्यात्म कहलाती है। जीवों की भौतिक संसार से सम्बंधित गतिविधियाँ कर्म कहलाती है। निरंतर परिवर्तित होती भौतिक अभिव्यक्ति अधिभूत है और भगवान का स्वरुप अधिदैव है। सभी प्राणियों के ह्रदय में स्थित मैं अधियज्ञ हूँ। जिन मनुष्यों ने सदैव अभिन्न भाव से मेरा स्मरण किया है मैं उन्हें प्रयाण काल में भी स्मरण आता हूँ।
भगवान सर्वत्र और सर्वज्ञ हैं। मृत्यु के समय जो लोग योगाभ्यास द्वारा प्राणों को भृकुटि के मध्य स्थापित कर पूर्ण भक्ति से भगवान का स्मरण करते हैं वो भगवान को अवश्य ही प्राप्त होते हैं। जो देह त्याग करते समय ॐ का उच्चारण करते हैं वे परमगति को प्राप्त होते हैं। एकनिष्ठ भक्ति करने वाले लोगों के लिए भगवान सुलभ हैं। ब्रह्म लोक तक के सभी लोक पुनरावर्ती हैं लेकिन भगवान श्री कृष्ण के धाम को प्राप्त कर लेने के पश्चात् मनुष्य परमगति को प्राप्त हो जाता है। उसे वापस इस जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त होकर इस शरीर रुपी दुखालय में नहीं आना पड़ता है।
हजार चक्र के चार युग तक की अवधि वाला ब्रह्मा का एक दिन होता है और इतनी ही अवधि की एक रात होती है। ब्रह्मा की दिन की आगमन पर असंख्य जीव जन्म लेते हैं और रात्रि आने पर विलीन हो जाते हैं। जो परब्रह्म को जानते हैं वे सूर्य की उत्तरायण की स्थिति में , शुक्ल पक्ष में दिन के शुभ लक्षण में देहत्याग करते हैं और परमगति को प्राप्त होते है। जो वैदिक कर्मकांड का पालन करते हैं और दक्षिणायन सूर्य की स्थिति में कृष्ण पक्ष में और रात्रि में धूम के समय मृत्यु को प्राप्त होते हैं वे स्वर्ग लोक को प्राप्त होते हैं और पुण्य क्षीण होने पर स्वर्ग का सुख भोग कर वापस मृत्यु लोक में वापस आते हैं।
इस तरह प्रकश मार्ग मुक्ति की ओर और अंधकार पुनर्जन्म की ओर ले जाता है। जो योगी इस रहस्य को जान लेते हैं वे सदैव ही योग में लीन रहते हैं और वेदों के अध्ययन, तप , यज्ञ और दान के फल से परे अधिक लाभ प्राप्त करते हैं और भगवान के परम धाम को प्राप्त करते हैं।